चिराग तले अंधेरा: चंडीगढ़ के साये में ‘उपेक्षित’ नयागांव

चिराग तले अंधेरा: चंडीगढ़ के साये में ‘उपेक्षित’ नयागांव

Darkness under the Lamp

Darkness under the Lamp

विशेष संवाददाता, मोहाली

Darkness under the Lamp: पंजाब का सीमांत नगर नयागांव—जो चंडीगढ़ जैसे सुव्यवस्थित शहर की छाया में बसा है और जहाँ से मुख्यमंत्री का सरकारी आवास चंद कदमों की दूरी पर है—विकास की दृष्टि से आज भी पिछड़ा हुआ नजर आता है। यह विडंबना ही है कि जहां एक ओर पंजाब सरकार विकास के बड़े-बड़े दावे करती है, वहीं राजधानी की देहरी पर खड़ा यह नगर मूलभूत सुविधाओं को तरस रहा है।

चार वर्षों से आम आदमी पार्टी की सरकार सत्ता में है। विधायक, सांसद और यहां तक कि मेंबर ऑफ पार्लियामेंट भी, आम आदमी पार्टी का ही है   नगर कौंसिल मैं BJP का कब्जा है, बावजूद इसके नयागांव की जनता को अब भी आश्वासनों के पुलिंदों के सिवाय कुछ हासिल नहीं हुआ।

नयागांव की जमीनी हकीकत और समाधान की आवश्यकता

•    अवैध बहुमंजिला इमारतें: बिना नक्शा पास कराए बहुमंजिला इमारतों का निर्माण सुरक्षा के लिए खतरा बन चुका है।
•    समाधान: नगर परिषद द्वारा जांच अभियान चलाकर अनधिकृत निर्माणों पर कठोर कार्रवाई की जाए और ज़मीन पर प्लानिंग रेगुलेशन लागू किए जाएं।

•    ट्रैफिक और पार्किंग की समस्या: संकरी सड़कों और अव्यवस्थित पार्किंग से जाम की स्थिति आम हो गई है।
•    समाधान: सर्कुलर वन-वे व्यवस्था, मल्टी-लेवल पार्किंग और ट्रैफिक मैनेजमेंट प्लान को लागू किया जाए।

•    अधूरी सीवेज ट्रीटमेंट प्रणाली: गंदा पानी नालों में बह रहा है, जिससे गंदगी और बीमारियों का खतरा बढ़ा है।
•    समाधान: एसटीपी का निर्माण शीघ्र पूरा हो और मौजूदा सिस्टम को ठीक किया जाए।

•    त्रुटिपूर्ण रजिस्ट्री व जमाबंदी रिकॉर्ड: रिकॉर्ड में गड़बड़ियों से कानूनी विवाद बढ़े हैं।
•    समाधान: डिजिटल रिकॉर्ड का पुनः सत्यापन कर पारदर्शी प्रणाली लागू की जाए।

•    बिजली कनेक्शन में देरी: आवेदन के महीनों बाद भी कनेक्शन नहीं मिलते।
•    समाधान: प्रोसेस को सरल, ऑनलाइन और समयबद्ध बनाया जाए।

•    ESZ/सुखना कैचमेंट पर अस्पष्टता: नियमों की अनिश्चितता से लोग निर्माण और रजिस्ट्री नहीं करा पा रहे।
•    समाधान: सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के अनुसार स्पष्ट गाइडलाइन सार्वजनिक की जाए।

•    जल संकट और अवैध बोरवेल: ग्राउंडवाटर खतरनाक स्तर तक गिर चुका है।
•    समाधान: टैंकर सेवा, पाइपलाइन सुधार और वर्षा जल संचयन को अनिवार्य किया जाए।

•    सार्वजनिक सुविधाओं का अभाव: न कोई पार्क, न खेल मैदान और न ही सामुदायिक भवन।
•    समाधान: उपलब्ध सरकारी भूमि पर जन-सुविधा केंद्र और खेल परिसर विकसित किए जाएं।

•    स्वास्थ्य सेवाओं का शून्य: यहां कोई सरकारी डिस्पेंसरी तक नहीं है।
•    समाधान: प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र, मोबाइल क्लीनिक की स्थापना हो।

•    बिजली और टेलीफोन के तारों का मकड़ी-जाल: यह जानलेवा खतरा बन चुका है।
•    समाधान: सभी तारों को भूमिगत कर स्मार्ट ग्रिड सिस्टम लागू किया जाए।

•    खुले मैनहोल और टूटी नालियाँ: हादसों को दावत देते ये हालात लंबे समय से जस के तस हैं।
•    समाधान: नगर परिषद द्वारा सर्वे कर सभी मैनहोल और नालियों की मरम्मत कराई जाए।

•    अपराध में वृद्धि और CCTV का अभाव: बढ़ती आपराधिक घटनाओं पर निगरानी नहीं।
•    समाधान: प्रमुख स्थानों पर हाई-रिज़ॉल्यूशन CCTV कैमरे लगाए जाएं।

•    चरमराई सफाई व्यवस्था: कई क्षेत्रों में नियमित सफाई नहीं होती।
•    समाधान: डोर-टू-डोर कचरा संग्रहण और निगरानी प्रणाली लागू हो।


•    बाजारों में अतिक्रमण और फुटपाथ कब्जा: चलने तक की जगह नहीं बची।
•    समाधान: अतिक्रमण हटाकर वैकल्पिक स्थल दिए जाएं।

•    घरों के ऊपर से गुजरते हाई टेंशन तार: यह घातक स्थिति किसी भी समय जानलेवा साबित हो सकती है।
•    समाधान: तत्काल रूट शिफ्टिंग और अंडरग्राउंड केबलिंग की जाए।

•    महंगे नक्शा पासिंग शुल्क: आम आदमी के लिए घर बनाना सपना बन गया है।
•    समाधान: शुल्क को युक्तियुक्त और पारदर्शी बनाया जाए।

•    मास्टर प्लान का अभाव: बिना योजना के बेतरतीब निर्माण हो रहा है।
•    समाधान: नगर का मास्टर प्लान शीघ्र बनाया जाए।

•    शिक्षा और पुलिस ढांचा कमजोर: न कोई कॉलेज है, न आधुनिक पुलिस थाना।
•    समाधान: डिग्री कॉलेज और हाई-टेक थाना की स्थापना हो।

•    फायर ब्रिगेड, बिजली ग्रिड और कचरा प्रबंधन अधूरा: आपात स्थिति में कोई सुविधा उपलब्ध नहीं।
•    समाधान: फायर स्टेशन, पावर सबस्टेशन और सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट सेंटर की स्थापना हो।

•    न गौशाला, न डंपिंग ग्राउंड: आवारा पशु और बेतरतीब कचरा समस्याएं बना हुआ है।
•    समाधान: पशु आश्रय और वैज्ञानिक डंपिंग साइट विकसित की जाए।

•    जन-जागरूकता का अभाव: लोग योजनाओं और अपने अधिकारों से अनजान हैं।
•    समाधान: लगातार जन-जागरूकता अभियान चलाए जाएं।

अब नहीं तो कब?

यह बेहद जरूरी हो गया है कि नयागांव को 'उपेक्षित उपनगर' की छवि से निकालकर एक आदर्श शहरी मॉडल के रूप में विकसित किया जाए। इसके लिए सिर्फ नीतियाँ नहीं, बल्कि जमीनी स्तर पर एक्शन चाहिए। राजनीतिक इच्छाशक्ति, प्रशासनिक दृढ़ता और जनता की भागीदारी इस बदलाव की कुंजी हो सकती है।

सतिंदर शर्मा की जुबानी:

"हम न तो कोई विशेष सुविधा मांग रहे हैं और न ही कोई कृपा। हम सिर्फ वही अधिकार और सुविधाएं मांग रहे हैं, जो एक आम नागरिक को मिलनी चाहिए। नयागांव के लोगों ने सरकारों पर भरोसा किया, अब सरकार की जिम्मेदारी है कि वह इस भरोसे को निभाए।" — सतिंदर शर्मा, सामाजिक कार्यकर्ता और नयागांव निवासी

सरकार से अपील:

नयागांव की जनता अब आश्वासनों से थक चुकी है। वह विकास की हिस्सेदारी और जीने लायक बुनियादी ढांचा चाहती है। सरकार से अनुरोध है कि उपरोक्त समस्याओं को प्राथमिकता के आधार पर हल कर नयागांव को वह अधिकार दिलाया जाए, जिसका वह वर्षों से इंतजार कर रहा है।